पूरे विश्व में विजयादशमी के दिन बुराई का प्रतीक मानकर रावण का पुतला जलाया जाता है। लेकिन, कानपुर में ठीक इसके उलट एक ऐसा मंदिर है, जहां रावण की पूजा की जाती है।
मान्यता के अनुसार यह सिर्फ विजयादशमी के दिन ही खुलता है। कानपुर के शिवाला नगर के इस अनोखे मंदिर में बुधवार सुबह से रावण की पूजा की जा रही है। मंदिर कई वर्ष पुराना है। विजयादशमी के दिन यहां हजारों की संख्या में भक्त रावण की पूजा करते हैं। यह मंदिर माता दुर्गा का है, जहां रावण का अलग से मंदिर बनाया गया है।
दशानन मंदिर के पुरोहित राम बाजपेयी ने बताया कि दशानन मंदिर केवल दशहरा वाले दिन खुलता है और रावण की पूजा होती है। शाम को पुतला जलाने के बाद हम इस मंदिर को बंद कर देते हैं।
उन्होंने बताया कि रावण की पूजा सिर्फ विद्वता के कारण होती है। हम उनके ज्ञान की पूजा करते हैं। मान्यता है कि दशानन मंदिर में दशहरे के दिन लंकाधिराज रावण की आरती के समय नीलकंठ के दर्शन श्रद्धालुओं को मिलते हैं। महिलाएं दशानन की प्रतिमा के करीब सरसों के तेल का दीया और तरोई के फूल अर्पित कर सुख समृद्धि, पुत्र और परिवार के लिए ज्ञान व शक्ति की कामना करती हैं।